Chandrayaan-3 Launch Date and Time (चंद्रयान-3 लॉन्च की तारीख और समय)

Chandrayaan-3 Launch Date and Time:

Chandrayaan

Chandrayaan-3 Launch Date and Time, In mythology where the Moon is considered the deity, the lord of beauty and the arts. At the same time, in poetry and poems, the moon was embellished as a metaphor within the loving hearts. The vision of modern science has seen the moon as a satellite. For a long time, the Moon has been a center of curiosity for humans. Different civilizations of the world made many fantasies, myths and stories about the moon and the sun a part of their life and tradition.

Overview about the Moon and the Sun


The moon and the sun are such visible satellites and stars in the sky that the curiosity to reach and know about them has arisen easily within the human mind while looking at them daily with open eyes. The sun has remained rare because of its distance and its hot nature, but the moon, which is closest to the earth and is called the satellite of our planet, has left all the possibilities open for mankind to dream of settling on the moon and building colonies there. Can see

It is worth mentioning that due to the space race that started between the US and the Soviet Union in the 60s and 70s, the US landed two of its astronauts, Neil Armstrong and Buzz Aldrin, on the lunar surface in the year 1969 under the Apollo mission. After this many Apollo missions were sent to the moon.

Big Achievement for India

 


However, since Gene Cernan in 1972, no other astronaut has yet set foot on the lunar surface. At the same time, America and the rest of the world are gearing up to explore the moon again.Apart from America, Russia and European countries, India is no less curious and curious about the moon in the field of space. Indian scientists have been continuously cherishing dreams of going to the moon and hoisting the Indian tricolor there. After the partial success of Chandrayaan 2, India and Indian scientists are once again moving towards the Moon through their mission Chandrayaan 3.

 

Chandrayaan 3 will be launched with LVM3 rocket

ISRO is going to launch Chandrayaan 3 on July 14, 2023 at 2.35 pm from the Satish Dhawan Space Center located in Sriharikota, Andhra Pradesh. Under the Chandrayaan 3 mission, its robotic equipment can land on that part of the moon (Shackleton Crater) by August 24, where no mission of any country has reached so far.For this reason, the eyes of the whole world are on this mission of India. Compared to earlier, this time the lander of Chandrayaan 3 will land on a 40 times larger area with stronger wheels. Chandrayaan 3 will be launched with LVM3 rocket. In order to successfully land the lander on the lunar surface, many types of safety equipment have been installed in it. The theme of Chandrayaan 3 mission is Science Of The Moon.

Shackleton crater


The Moon's south pole is a large 4.2 km Shackleton Crater. Sunlight has not reached this particular place for billions of years. Because of this, the temperature here remains -267 degrees Fahrenheit. According to experts, the amount of hydrogen at this place is very high. For this reason there can be presence of water here. It is estimated by many scientists that 100 million tons of crystallized water can be found near Shackleton Crater.

Shackleton Crater is a storehouse of many essential resources

Apart from this, essential resources like ammonia, methane, sodium, mercury and silver can be found here. These places will be explored through rover under Chandrayaan 3 mission. With the help of the rover, the soil of the lunar surface, its temperature and the gases present in the atmosphere will be detected. Apart from this, how is the structure and geology of the south pole of the Moon? These facts will also be known.

How important is Chandrayaan 3 for NASA's Artemis 3 mission?


Chandrayaan 3 is going to be very important for NASA's Artemis-3 mission. Under the Artemis 3 mission, NASA is planning to land humans on the south pole of the moon. In such a situation, the data about the south pole of the moon will be obtained from the discovery of Chandrayaan 3. From this, NASA's Artemis mission will get many important information about this special region of the moon.

Will strengthen India's threat in global space race

The Chandrayaan 3 mission will symbolize human curiosity and paint a picture of a changing India. Not only this, Chandrayaan 3 will strengthen India's threat in the global space race.

Conclusion 

Its is the big achievement for India. It is also necessary for us because if it is successfully launched to and it will goes to moon than we can explore more information and about the moon's important part Shackleton Crater it is the part where the sunlight is not available so there temperature is normal where water is available and there is also essential resources like:- ammonia, methane, sodium, mercury and silver. That's why this is the big achievement for India.

 Chandrayaan-3 Launch Date and Time: पौराणिक कथाओं में जहां चंद्रमा को देवता, सौंदर्य और कलाओं का स्वामी माना गया है। वहीं शायरियों और कविताओं में चंद्रमा प्रेमी हृदयों के भीतर उपमा बनकर अलंकृत हुआ। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि ने चंद्रमा को एक उपग्रह के रूप में देखा है। बीते लंबे समय से चंद्रमा इंसानों के लिए एक उत्सुकता का केंद्र बना रहा है। दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं ने चांद और सूरज को लेकर कई कल्पनाओं, मिथकों और कहानियों को अपने जीवन और परंपरा का हिस्सा बनाया।

चांद और सूरज आसमान में प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले ऐसे उपग्रह और सितारे हैं जिन्हें रोजाना खुली आंखों से निहारते हुए मनुष्य मन के भीतर उन तक पहुंचने और उनके बारे में जानने की जिज्ञासा सहज पैदा होती रही है। सूरज अपनी दूरी और अपनी गर्म प्रकृति के कारण दुर्लभ बना हुआ है लेकिन चांद जो पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब है और हमारे ग्रह का उपग्रह कहलाता है उसने वह सारी संभावनाएं खुली रख छोड़ी हैं जिससे मनुष्य जाति चांद पर जाकर बसने और वहां कॉलोनियां बनाने का सपना देख सकती है।



गौरतलब बात है कि 60 और 70 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शुरू हुई स्पेस रेस के चलते अपोलो मिशन के अंतर्गत अमेरिका ने साल 1969 में अपने दो एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन को चांद की सतह पर उतारा। इसके बाद कई अपोलो मिशन चांद पर भेजे गए। 

हालांकि, साल 1972 में Gene cernan के बाद से कोई दूसरा एस्ट्रोनॉट अभी तक चांद की सतह पर कदम नहीं रखा है। वहीं अब दोबारा अमेरिका और दुनिया के बाकी देश चांद को एक्सप्लोर करने के लिए कमर कस रहे हैं। अमेरिका, रूस और यूरोपियन देशों के अलावा भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में चंद्रमा को लेकर कम जिज्ञासा और कौतुहल से भरा नहीं है। भारतीय वैज्ञानिक लगातार चंद्रमा पर जाने और वहां पर भारतीय तिरंगा लहराने के सपने संजोते रहे हैं। चंद्रयान 2 की आंशिक सफलता के बाद भारत और भारतीय वैज्ञानिक एक बार फिर चंद्रमा की ओर अपने मिशन चंद्रयान 3 के जरिए बढ़ चले हैं। 

LVM3 रॉकेट से चंद्रयान 3 को किया जाएगा लॉन्च

इसरो 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत इसका रोबोटिक उपकरण 24 अगस्त तक चांद के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है जहां अभी तक किसी भी देश का कोई अभियान नहीं पहुंचा है। इसी वजह से पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर हैं। पहले के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा। चंद्रयान 3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान 3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान है।  

शेकलटन क्रेटर

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव 4.2 किलोमीटर वाला एक बड़ा शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater) है। इस खास जगह पर अरबों सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है। इस वजह से यहां का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस जगह पर हाइड्रोजन की मात्रा काफी ज्यादा है। इस कारण यहां पर पानी की मौजूदगी हो सकती है। कई वैज्ञानिकों द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि Shackleton Crater के पास 100 मिलियन टन क्रिस्टलाइज पानी मिल सकता है। 

कई जरूरी संसाधनों का भंडार है शेकलटन क्रेटर

इसके अलावा यहां पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मरकरी और सिल्वर जैसे जरूरी संसाधन मिल सकते हैं। चंद्रयान 3 मिशन के अंतर्गत रोवर के माध्यम से इन्हीं जगहों को एक्सप्लोर किया जाएगा। रोवर की मदद से चांद की सतह की मिट्टी, वहां का तापमान और वातावरण में मौजूद गैसों के बारे में पता लगाया जाएगा। इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की संरचना और वहां का भूविज्ञान कैसा है? इन तथ्यों के बारे में भी जाना जाएगा। 

नासा के आर्टेमिस 3 मिशन के लिए कितना महत्वपूर्ण है चंद्रयान 3

चंद्रयान 3 नासा के आर्टेमिस-3 मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। अर्टेमिस 3 मिशन के अंतर्गत नासा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इंसानों को उतारने की योजना बना रहा है। ऐसे में चंद्रयान 3 की खोज से चांद के साउथ पोल के बारे में जो डाटा मिलेगा। उससे नासा के आर्टेमिस मिशन को चांद के इस खास क्षेत्र के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी। 

 

ग्लोबल स्पेस रेस में भारत की धमक को करेगा मजबूत

चंद्रयान 3 मिशन इंसानी जिज्ञासा का प्रतीक और बदलते भारत की तस्वीर को बयां करेगा। यही नहीं चंद्रयान 3 ग्लोबल स्पेस रेस में भारत की धमक को मजबूती देगा।
 
Previous Post Next Post